आदिवासी बाहुल्य जिला बस्तर, विकास खण्ड,बस्तर के पूर्व दिशा में बस्तर | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
ग्राम से (15 किमी. की दूरी पर स्थित है ग्राम इच्छापुर । उक्त ग्राम में 10 | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
पारा है तथा ग्राम से लगे हुए जंगलों में आसन के पौधे बहुतायत में हैं, | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
जिसमेँ ग्रामीणों के द्वारा" लंबे अर्से से तसर कीटपालन का कार्य किया जाता था । भादुगुडा में | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
वन विभाग के द्वारा पडत / बंजर भूमि में 25 एकड में अर्जुन का पौध रोपण करने के पश्चात | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
राज्य रेशम विभाग को सौप दिया गया. जिसमेँ स्थानीय युवा आदिवासियों का समूह बनाकर | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
तसर रेशम कीट पालन का कार्यं किया जाने लगा परन्तु उन्हें वाछित लाभ प्राप्त नहीं हो रहा | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
था । इसी समूह से श्री लक्ष्मीनाथ कश्यप पिता देवदास कश्यप को बुनियादी बीज प्रगुणन एवं | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
प्रशिक्षण केन्द्र, बस्तर द्वारा एकीकृत कौशल विकास योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण हेतु चयन कर | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
उन्हें कृमीपालन से संबंधित आवासीय प्रशिक्षण प्रदान किया गया । उन्हें तसर कीटपालन | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
प्रोद्योगिकी के नवीन तकनीक के अवगत कराते हुए पत्तियों की गुणवत्ता वृद्धि हेतु यूरिया का | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
छिड़काव करने ,चाकी कीटपालन, विसान्क्रमण तकनीकी तथा रेशम कीट के रोगों की जानकारी | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
एवं उनसे बचाव के उपाय आदि पर प्रशिक्षित कर बीज कोसा कीटपालन हेतु उन्हें स्व.डि. | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
समूह उपलब्ध कराया गया । श्री लल्मीनाथ द्वारा प्रशिक्षण में प्राप्त जानकारी के अनुरूप | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
कीटपालन प्रारंभ करने व उससे होने वाली अतिरिक्त आय से वह काफी संतुष्ट है । विगत तीन वर्षो में श्री लक्ष्मीनाथ द्वारा किए गये कीटपालन के आँकड़े निम्नानुसार है:-
श्री लक्ष्मीनाथ ने बताया की ग़रीबी के कारण वह प्रारंभिक शिक्षा नही ले सका इसलिए वह अशिक्षित है| घर परिवार की ज़िम्मेदारी मात्र एक फसलीय 2.0 एकड़ ज़मीन पर ही निभर्र थी जिससे होने वाली आय इतनी कम होती थी कि परिवार की ज़रूरतों को पूरा करने में परेशानी हो रही थी| प्रशिक्षण के पश्चात तसर कीटपालन से जुड़ने के बाद उससे प्राप्त आय द्वारा कृषि कार्य हेतु लिए गये ऋण का चुकाया तथा परिवार में छोटे भाई व बच्चों के लालन-पालन में आर्थिक मदद हो पाई है | |