राज्य रेशम विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ के राष्टीय राजमार्ग क0 30 के अंतर्गत रायपुर से जगदलपुर मार्ग
पर जिला मुख्यालय कोंडागाँव से 10 कि.मी. की दूरी पर ग्राम बनियागांव में एक कोसा बीज कैन्द्र स्थपित
किया गया है । यह क्षेत् आदिवासी बाहुल्य एवं नक्सलीप्रभावित क्षेत्र है । विभाग द्वारा 25 एकड पडत
/बंजर भूमि में अर्जुन के पौधो का पौधरोपण किया गया है जहाँ ग्रामीण आदिवासियो को तसर कीटपालन
की प्रत्यक्ष जानकारी प्रदान की गई । वर्तमान में उक्त केन्द्र में ग्रामीणों के द्वारा सामूहिक रूप से
कीटपालन का कार्य किया जाता है । ग्राम बनीयागांव के स्थानीय निवासी श्री कैलाश पिता बुधु उम्र
25 वर्ष जो कि पहले बेरोजगार थे मजदूरी कर अपना जीवन - यापन किया करते थे | पूर्व में उनकी
आजीविका का साधन था वनों के उत्पाद का संग्रहण तथा बाजार ने बेचना| वे जंगल में पारम्परिक
विधि के कीटपालन भी क्रिया करते ये । बुनियादी बीज प्रगुणन एव प्रशिक्षण केन्द्र, बस्तर के द्वारा
सर्वे उपरान्त उन्हें एकीकृत कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षण हेतु चयन जिया गया । इस कैन्द्र
के द्वारा एकीकृत कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षण प्रदान कर कीटपालन की नवीन वैज्ञानिक
तकनीकों से अवगत कराया गया । तत्पश्चात श्री कैलाश ने प्रशिक्षण में प्राप्त जानकारी के अनुरूप
बु.बी.प्र.व प्र.के., बस्तर के मार्गदर्शन में बीज कोसा उत्पादन हेतु वैज्ञानिक विधि से कीटप्रालन
प्रारम्म किया, जिससे उनके आय में अप्रत्याशित लाम प्राप्त होने लगा | वह इस प्रशिक्षण के बाद
कीटपालन कार्यं से बहुत संतुष्ट है ।
विगत तीन वर्षों में श्री कैलाश सोढी द्वारा किये गये कीटपालन के आंकड़े निम्नानुसार है:-
वर्ष | फसल |
पालित रो.मु.च |
कुल उत्पादित कोसा (नग) |
कोसा उत्पादन /रो.मु.च |
कुल आय (रुपये) |
प्रतिदिन कुल आय (रुपये) |
15-16 |
प्रथम तृतीय |
200 200 |
8800 10500 |
44 52 |
11000.00 14700.00 |
315.00 326.00 |
कुल/औसत | 400 | 19300 | 48 | 25700.00 | 320.50 | |
16-17 |
प्रथम द्वितीय |
200 200 |
9000 11000 |
45 55 |
11700.00 13750.00 |
334.00 305.00 |
कुल/औसत | 400 | 19500 | 48.75 | 25450.00 | 320.00 | |
17-18 |
प्रथम तृतीय |
200 200 |
9450 11500 |
47 57.5 |
12285.00 14375.00 |
351.00 261.00 |
कुल/औसत | 400 | 20950 | 52.25 | 26660.00 | 306.00 |
श्री कैलाश सोढी ने बताया जि वह चौथी कक्षा उत्तीर्ण है तथा गरीब परिस्थिति व पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण आगे की शिक्षा जारी नहीं रख सका । घर में बूढे माता पिता व छोटे भाई बहन के लालन पालन की जिम्मेदारी मात्र 1.5 एकड जमीन जो कि एक फसली से करने में बहुत परेशानी होती थी, तसर कीटपालन से जुड़ने के पश्यात उससे प्राप्त आय से छोटे भाई ,बहन के लालन पालन व शिक्षा तथा माता पिता के ईलाज हेतु मदद मिल जाती है ।
श्री कैलाश सोढी तसर रेशम कीटपालन से हुई आय से काफी संतुष्ट है क्योकि उसे उसके गांव में रोजगार प्राप्त होने के साथ साथ कृषि कार्य व अपने माता-पिता एवं भाई-बहन की घर पर रहकर देखभाल करतै हुए तरार रेशम कीटपालन से अतिरिक्त आय प्राप्त हो रही है । वह अपने अन्य साथियों को भी रोजगार प्राप्त करने हेतु पलायन न कर तसर कीटपालन अपनाने हेतु प्रेरित कर रहा है ।